रक्षा बंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

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Raksha bandan
रक्षा बंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?


तो इसका जवाब है की यह त्यौहार असल में इसलिए मनाया जाता है क्यूंकि ये एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है. वहीँ इसे केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझते है वो इसका पालन कर सकते हैं. इस मौके पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है.


रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई?

बताया जाता है कि जिस दिन शचि ने इंद्र को यह रक्षासूत्र बांधा था उस दिन सावन महीने की पूर्णिमा थी. यही वजह है कि इस दिन को रक्षा के बंधन से जुड़े त्योहार रक्षा बंधन के रूप में पहचान मिली. भविष्य पुराण की इस कहानी से तो यही मालूम चलता है कि रक्षाबंधन का यह त्योहार सिर्फ पति-पत्नी या भाई-बहन से नहीं जुड़ा है.



रक्षाबंधन की कहानी क्या है?

महाभारत काल से हुई रक्षाबंधन की शुरुआत चोट के कारण भगवान की उंगली से खून बहने लगता है. तभी ये सब द्रौपदी देखती है, जिसके बाद बिना कुछ सोचे समझे वह अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध देती हैं. ऐसी मान्यता है कि तभी से कपड़े का वह टुकड़ा पवित्र धागे की निशानी बन गया.


रक्षाबंधन का पर्व कैसे मनाया जाता है?

रक्षाबंधन से संबंधित अनेक कथाएं हैं। रक्षा बंधन के दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं। इसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम एवं दीप जलकर थाल सजाते हैं। इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैं फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली एवं अक्षत से तिलक करती हैं।


रक्षाबंधन कब है 2022 शुभ मुहूर्त?

Raksha Bandhan 2022: 11 और 12 अगस्त में से राखी बांधने की सही डेट कौन सी है पंचांग के अनुसार, सावन मास की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 09:34 पर शुरू होगी जो 12 अगस्त को सुबह 07:18 तक रहेगी। इसके अनुसार 11 अगस्त को रक्षा बंधन मनाया जाना चाहिए।


रक्षाबंधन पर किसकी पूजा की जाती है?


रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है, इस त्योहार के दिन सभी परिवार एक हो जाते है और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार साझा करते है। बहनें भाइयों के हाथ में बाँधती हैं। येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥



भद्रा काल क्या होता है? What is Bhadra Kaal, Who is Bhadra

पुराणों के अनुसार, भद्रा शनिदेव की बहन और सूर्य देव की पुत्री हैं। इन स्वभाव भी अपने भाई शनि की तरह कठोर माना जाता है। भद्रा के स्वभाव को समझने के लिए ब्रह्मा जी ने इनको काल गणना यानी पंचांग में एक विशेष स्थान दिया है। हिंदू पंचांग को 5 प्रमुख अंगों में बांट गया है।


ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या या उनका नाश करने वाली मानी गई है। जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टि करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वी लोक में रहती है।

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